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S.H.V.Ajneya Shekhar Ek Jeevani ( Set Of 2 Vols)

S.H.V.Ajneya Shekhar Ek Jeevani ( Set Of 2 Vols)

Regular price Rs. 678.00
Regular price Rs. 798.00 Sale price Rs. 678.00
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शेखर : एक जीवन को कुछ वैचारिक हलकों में आत्म-तत्त्व के बाहुल्य के कारण आलोचना का शिकार होना पड़ा था। साथ ही अमने समय के नैतिक मूल्यों के लिए भी इसे चुनौती की तरह देखा गया था। लेकिन आत्म के प्रति अपने आग्रह के बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि 'शेखर समाज से विलग या उम्मके विरोध में खड़ा हुआ कोई व्यक्ति है। अगर ऐसा होता तो शेखर अपने समय-समाज के ऐसे-ऐसे अश्नों से नहीं जूझता जो उस समय स्वाधीनता आफ्दोलन के नेतृत्वकारी विचारकों-चिन्तकों के लिए भी चिन्ता का मुख्य बिन्दु नहीं थे, मगर जाति और स्त्री से सम्बन्धित प्रश्न।

 

जैसा कि अज्ञेय ने संकेत किया है, शेखर अपने समय से बनता हुआ पात्र है। वह परिस्थितियों से विकसित होता हुआ और परिस्थितियों को | आलोचनात्मक दृष्टि से देखता हुआ पात्र है।

 

उपन्यास के प्रथम भाग में जिस तरह से शेखर का मनोविज्ञान और उसके अन्तस्तल, अनिमाण की प्रक्रिया उ‌द्घाटित हुई है, उसी आकेसंधुता के साथ इस दूसरे भाग में शेखर के पा जीवनानुभवों का वर्णन किया गया है।

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