Ramdhari Singh Dinkar Urvashi (Hindi) Hindi EditionHindi Edition
Ramdhari Singh Dinkar Urvashi (Hindi) Hindi EditionHindi Edition
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1961 ई. में प्रकाशित इस काव्य-नाटक में ‘दिनकर’ ने उर्वशी और पुरुरवा के प्राचीन आख्यान को एक नये अर्थ से जोड़ना चाहा है | इस कृति में पुरुरवा और उर्वशी अलग-अलग तरह की प्यास लेकर आये हैं | पुरुरवा धरती पुत्र है और उर्वशी देवलोक से उतरी हुई नारी है | पुरुरवा के भीतर देवत्व की तृष्णा का सुख भोगना चाहती है | उर्वशी प्रेम और सौंदर्य का काव्य है | प्रेम और सौंदर्य की मूल धारा में जीवन दर्शन सम्बन्धी अन्य छोटी-छोटी धाराएं आकर मिल जाती हैं | प्रेम और सौन्दर्य का विधान कवि ने बहुत व्यापक धरातल पर किया है | कवि ने प्रेम की छबियों को मनोवैज्ञानिक धरातल पर पहचाना है | ‘दिनकर’ की भाषा में हमेशा एक प्रत्यक्षता और सादगी दिखी है, परन्तु उर्वशी में भाषा की सादगी अलंकृति और अभिजात्य की चमक पहन कर आयी है—शायद यह इस कृति की वस्तु की माँग रही हो |
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