Shoonya Se Aakhir Tak । शून्य से आख़िर तक
Shoonya Se Aakhir Tak । शून्य से आख़िर तक
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उपन्यास ‘शून्य से आख़िर तक’ एक खोज है। खोज किसी भी क्षण, कार्य, प्रेम, यात्रा के जीवन से मृत्य की। पाठकों और लेखक के बीच के रिश्ते पर भी सीधा संवाद करते हुए यह उपन्यास आपस में एक संभाषण-सी लगती है। विद्यालय के पहले प्रेम से लेकर, हिमाचल की वादियों में यात्रा व कविताओं, शायरियों, गानों से भरपूर अपने पाठकों को अपने साथ बाँधे और जोड़े रखने में यह किताब समर्थ है शून्य से आख़िर तक।
लिखे हुए में सोच की एक ख़ुशबू होती है। आप लिखा हुआ सुनाते हैं और लोग उसे सूँघ लेते हैं। वो ख़ुशबू इतनी मधुर होती है कि उसमें ख़यालात का एक बीज बोया जा सकता है, जिसमें विचारों के रंग-बिरंगे फूलों पर सपनों की कुछ तितलियाँ भी मँडराती हुई नज़र आती हैं। लिखे हुए में इतनी ताक़त होती है कि आपके शब्द एक नई दुनिया बनाते हैं, जिसमें सिर्फ़ आप और आपके लिखे हुए को सूँघने वाले ही होते हैं।
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